छठ पूजा कैसे मनाई जाती है?
छठ पूजा एक चार दिवसीय व्रत है जो कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। इस व्रत में महिलाएं सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करती हैं। व्रत के दौरान महिलाएं निम्नलिखित नियमों का पालन करती हैं:
- नहाय-खाय: व्रत की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करती हैं और नए कपड़े पहनती हैं। फिर वे प्रसाद ग्रहण करती हैं।
- खरना: दूसरे दिन खरना होता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं और शाम को एक विशेष भोजन खाती हैं, जिसे खरना कहा जाता है। खरना में खीर, ठेकुआ, और अन्य मिठाइयाँ शामिल होती हैं।
- अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य: तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन महिलाएं सूर्यास्त के समय गंगा नदी या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करती हैं। फिर वे सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं।
- उदयगामी सूर्य को अर्घ्य: चौथे दिन उदयगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय के समय गंगा नदी या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करती हैं। फिर वे सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं।
छठ पूजा के दौरान महिलाएं कई तरह के पारंपरिक गीत गाती हैं। ये गीत सूर्य देव और छठी मैया की स्तुति करते हैं। छठ पूजा एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है और इसे पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
छठ पूजा के महत्व
छठ पूजा एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो सूर्य देव और छठी मैया की आराधना के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार जीवन के महत्व, कृतज्ञता और आस्था का प्रतीक है। छठ पूजा के माध्यम से लोग सूर्य देव और छठी मैया से अपने परिवार की सुख-समृद्धि और लंबी उम्र की कामना करते हैं।
छठ पूजा का विशेष महत्व महिलाओं के लिए है। इस त्योहार के माध्यम से महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। छठ पूजा के दौरान महिलाएं पूरे चार दिनों तक उपवास रखती हैं और कठोर तपस्या करती हैं। उनकी इस भक्ति और आस्था से सूर्य देव और छठी मैया प्रसन्न होते हैं और उन्हें अपने मनोकामनाओं की पूर्ति का वरदान देते हैं।
छठ पूजा एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को एकजुट करता है। इस त्योहार के दौरान सभी लोग मिलकर सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करते हैं। छठ पूजा के माध्यम से लोग एक-दूसरे के प्रति प्रेम और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देते हैं।
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